चूरू, राजस्थान: भारतीय वायुसेना (IAF) का एक Jaguar ट्रेनर विमान मंगलवार दोपहर को चूरू जिले के भानुड़ा गांव के पास एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में विमान में सवार दोनों पायलटों की मौत हो गई। यह विमान एक सामान्य प्रशिक्षण मिशन पर था।
कौन थे शहीद पायलट?
- स्क्वाड्रन लीडर लोकेन्द्र सिंह सिंधु (31 वर्ष), हरियाणा के रोहतक से थे। वे अनुभवी पायलट थे और उन्हें Jaguar उड़ाने का लंबा अनुभव था।
- फ्लाइट लेफ्टिनेंट ऋषि राज सिंह (23 वर्ष), राजस्थान के पाली जिले से थे। वे हाल ही में सेवा में शामिल हुए थे और प्रशिक्षित पायलट थे।
हादसे की जानकारी
घटना दोपहर 1:25 बजे के करीब हुई जब जेट अचानक नियंत्रण से बाहर होकर खेतों में जा गिरा। हादसे के वक्त जेट लो-लेवल फ्लाइट मिशन पर था। ग्रामीणों के अनुसार, पायलटों ने गांव को बचाने के लिए अंतिम क्षणों तक प्रयास किया। किसी भी नागरिक या संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा।
चश्मदीदों की गवाही
स्थानीय लोगों ने बताया कि विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले कुछ देर तक हवा में मंडरा रहा था, मानो पायलट उसे किसी आबादी से दूर ले जाने की कोशिश कर रहे हों। एक ग्रामीण ने कहा, “पायलट ने गांव बचाने के लिए जान की बाजी लगा दी।” घटनास्थल से एक पायलट की डायरी और हेलमेट भी बरामद हुआ।
IAF की प्रतिक्रिया और जांच
भारतीय वायुसेना ने इस दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (जांच) के आदेश दे दिए हैं। प्रारंभिक रूप से तकनीकी खराबी की आशंका जताई जा रही है लेकिन जांच रिपोर्ट के बाद ही सही कारण सामने आएगा।
2025 में तीसरी Jaguar दुर्घटना
यह वर्ष 2025 में Jaguar की तीसरी दुर्घटना है:
- 7 मार्च: अंबाला में Jaguar क्रैश हुआ, पायलट सुरक्षित बच निकले।
- 2 अप्रैल: गुजरात के जामनगर में दुर्घटना, एक पायलट की मृत्यु।
- 9 जुलाई: चूरू, राजस्थान में यह हादसा हुआ, दोनों पायलट शहीद।
IAF अब भी क्यों उड़ा रही है Jaguar?
Jaguar एक पुराना लेकिन शक्तिशाली स्ट्राइक फाइटर है जिसे 1979 में वायुसेना में शामिल किया गया था। भारत इसकी अंतिम ऑपरेटर वायुसेना है। हालांकि इसमें आधुनिक सुरक्षा सुविधाओं जैसे स्वतः इजेक्शन सिस्टम का अभाव है। आधुनिक फाइटर जेट की आपूर्ति में देरी के कारण वायुसेना अभी भी Jaguars का इस्तेमाल कर रही है।
राष्ट्रीय शोक और प्रतिक्रिया
देशभर से नेताओं, सेना अधिकारियों और आम जनता ने शोक व्यक्त किया। रक्षा मंत्री ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिवारों को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है। इस दुर्घटना के बाद फिर से वायुसेना के बेड़े के आधुनिकीकरण की मांग उठ रही है।
निष्कर्ष
चूरू में हुए इस विमान हादसे ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि हमारी वायुसेना के जांबाज पायलट शांति काल में भी जान की बाजी लगाते हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि अब पुराने विमानों की जगह आधुनिक विमानों की तैनाती में तेजी लानी होगी।