महाराष्ट्र में 70 वर्षीय महिला डॉक्टर बनी ‘डिजिटल अरेस्ट’ की शिकार, साइबर ठगों ने 3 करोड़ रुपये की ठगी की

मुंबई: महाराष्ट्र में साइबर अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और अब ठग नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल कर आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। ताजा मामला मुंबई से सामने आया है, जहां एक 70 वर्षीय महिला डॉक्टर को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर 3 करोड़ रुपये की ठगी की गई। यह घटना राज्य में बढ़ते साइबर फ्रॉड की गंभीरता को उजागर करती है।

कैसे हुआ ‘डिजिटल अरेस्ट’?

घटना मई महीने की है जब पीड़िता को एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को टेलीकॉम डिपार्टमेंट का अधिकारी ‘अमित कुमार’ बताया। उसने कहा कि किसी ने उनकी पहचान का दुरुपयोग कर सिम कार्ड खरीदा है और उसका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों में किया जा रहा है।

इसके बाद एक अन्य व्यक्ति ने पीड़िता को कॉल किया और खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी ‘समाधान पवार’ बताया। उसने बताया कि एक एयरलाइन कंपनी के मालिक के घर से छापे के दौरान डॉक्टर का बैंक डिटेल मिला है, और मालिक पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है।

फर्जी डॉक्युमेंट्स और वर्दी में वीडियो कॉल

ठगों ने पीड़िता को यकीन दिलाने के लिए फर्जी डॉक्युमेंट्स भेजे, जिनपर CBI और ED जैसी जांच एजेंसियों की मुहर लगी हुई थी। इतना ही नहीं, एक शख्स ने पुलिस की वर्दी पहनकर पीड़िता के पति से वीडियो कॉल की और उन्हें मामले की गंभीरता बताई।

8 दिन का ‘डिजिटल अरेस्ट’

पीड़िता को धमकाया गया कि वह अगर सहयोग नहीं करेगी तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। डर के मारे महिला ने खुद को 8 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा — यानी किसी से नहीं मिली, हर घंटे आरोपियों को रिपोर्ट करती रही, और उनके कहने पर अलग-अलग बैंक खातों में कुल 3 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।

केस दर्ज, जांच जारी

घटना का खुलासा तब हुआ जब 5 जून को पीड़िता ने पश्चिम क्षेत्र के साइबर पुलिस स्टेशन से संपर्क किया। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपियों ने इस पैसे में से 82 लाख रुपये को क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया है। पुलिस अब आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी की कोशिश कर रही है।

क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?

‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नया साइबर फ्रॉड तरीका है, जिसमें ठग पीड़ित को विश्वास में लेकर उसे वर्चुअल तरीके से गिरफ्तार करने का दावा करते हैं। वे पीड़ित को किसी कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर उसकी गतिविधियों पर नियंत्रण रखते हैं और फिर पैसे की मांग करते हैं।

लोगों के लिए चेतावनी:

  • सरकारी एजेंसियां कभी वीडियो कॉल या चैट ऐप्स से पूछताछ नहीं करतीं।
  • अगर कोई अधिकारी बताकर डराने की कोशिश करे, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें।
  • किसी भी स्थिति में अपने बैंक डिटेल्स या पैसे अज्ञात खातों में न भेजें।

निष्कर्ष:

यह मामला केवल एक महिला डॉक्टर का नहीं है, बल्कि एक बड़े साइबर अपराध नेटवर्क का संकेत देता है। लोगों को जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि इस तरह की ठगी से खुद को और अपने प्रियजनों को बचाया जा सके।

Leave a Comment