2025 की मराठी फिल्में: बेहतरीन कहानियाँ, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर कमाई में पिछड़ गईं!

2025 में मराठी सिनेमा एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ा है। इस साल कई फिल्मों ने नई सोच, दमदार विषयवस्तु और शानदार अभिनय के साथ दर्शकों का ध्यान खींचा है, लेकिन इसके बावजूद बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता नहीं मिल सकी। आलोचकों ने फिल्मों की सराहना जरूर की, लेकिन व्यावसायिक रूप से बहुत कम ही फिल्में सफल हो पाई हैं।

अच्छी कहानियाँ, लेकिन दर्शक नहीं

इस साल मराठी फिल्मकारों ने नए प्रयोग किए हैं और अलग-अलग विषयों को छूने की हिम्मत दिखाई है। हालांकि, यह क्रिएटिव प्रयास टिकट खिड़की पर खास असर नहीं दिखा सका। विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रचार की कमी, बड़े बजट की बॉलीवुड और साउथ फिल्मों से टक्कर, और दर्शकों की प्राथमिकताओं में बदलाव इसकी प्रमुख वजह हैं।

कुछ फिल्में बनीं उम्मीद की किरण

हालांकि, पूरी तस्वीर निराशाजनक नहीं है। “गुलकंद” और “आता थांबायचं नाय!” जैसी फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया और ₹1 करोड़ से अधिक की कमाई की।

वहीं “जारण” ने मात्र 12 दिनों में ₹3.5 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर यह दिखा दिया कि यदि कहानी दमदार हो और प्रचार सही हो, तो दर्शक जरूर साथ देते हैं।

प्रचार के बावजूद असफल रहीं फिल्में

“झापुक झुपूक” जैसी फिल्मों से काफी उम्मीदें थीं। बिग बॉस मराठी विजेता सूरज चव्हाण की यह फिल्म अच्छी तरह प्रमोट की गई थी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर कमजोर साबित हुई। अभिनेत्री दीपाली पानसरे ने बताया कि उन्होंने इस फिल्म के लिए एक टीवी शो भी छोड़ा, और अब फिल्म की असफलता से उन्हें दुख है।

2025 में आने वाली प्रमुख मराठी फिल्में

आने वाले महीनों में कई बहुप्रतीक्षित मराठी फिल्में रिलीज होंगी, जिनसे दर्शकों और इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें हैं:

  • देवमाणूस – महेश मांजरेकर और रेणुका शहाणे की मुख्य भूमिका वाली एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर।
  • अशी ही जम्वा जम्वी – अशोक सराफ और वंदना गुप्ते की पारिवारिक कॉमेडी।
  • बंजारा – सिक्किम की खूबसूरत वादियों में शूट की गई दोस्ती पर आधारित कहानी।
  • सा ला ते सा ला ना ते – सामाजिक मुद्दों को उजागर करती भावनात्मक फिल्म।

क्या है मराठी सिनेमा की सबसे बड़ी चुनौती?

कई फिल्म निर्माताओं का मानना है कि महाराष्ट्र में टिकट की कीमतें बहुत ज्यादा हैं। तमिलनाडु जैसे राज्यों में जहां ₹100-150 में फिल्में देखी जा सकती हैं, वहीं मराठी दर्शकों को ₹300-₹500 तक खर्च करने पड़ते हैं। इसके अलावा, आईपीएल और बड़े बजट की फिल्मों के साथ क्लैश भी एक बड़ी समस्या है।

निष्कर्ष

2025 में मराठी फिल्में दमदार विषयों और प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ सामने आई हैं, लेकिन दर्शकों के पर्याप्त सहयोग के बिना ये फिल्में अपना पूरा प्रभाव नहीं छोड़ पा रही हैं। यदि आने वाले समय में दर्शक और थिएटर साथ दें, तो मराठी सिनेमा को वह व्यावसायिक सफलता मिल सकती है, जिसकी उसे लंबे समय से तलाश है।

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