भारत की अग्रणी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अपने कर्मचारियों के लिए एक नई और सख्त डिप्लॉयमेंट पॉलिसी लागू कर दी है। 12 जून 2025 से लागू हुई इस नीति के अनुसार, हर कर्मचारी को साल भर में कम से कम 225 बिलेबल (प्रोजेक्ट पर काम करने वाले) कार्य दिवस पूरे करने होंगे। वहीं, किसी प्रोजेक्ट पर कार्यरत न होने की स्थिति (यानी ‘बेंच’ पर रहने) में अधिकतम 35 कार्य दिवसों की ही अनुमति होगी।
📌 प्रमुख बिंदु:
225 बिलेबल दिन जरूरी: सभी कर्मचारियों को एक साल में कम से कम 225 दिन प्रोजेक्ट पर काम करना होगा।
बेंच समय सीमित: यदि कर्मचारी किसी प्रोजेक्ट पर नहीं है, तो वह अधिकतम 35 कार्य दिवस ही ‘बेंच’ पर रह सकता है।
ऑफिस उपस्थिति अनिवार्य: बेंच के दौरान वर्क फ्रॉम होम केवल विशेष परिस्थितियों में ही अनुमति योग्य होगा। सामान्यतः ऑफिस आना जरूरी होगा।
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📚 अनिवार्य स्किल अपग्रेडिंग
बेंच पर रहने के दौरान कर्मचारियों को हर दिन 4 से 6 घंटे तक स्किल डेवलपमेंट (Upskilling) में भाग लेना होगा। इसमें शामिल है:
iEvolve, Fresco Play और LinkedIn Learning जैसे प्लेटफॉर्म पर लर्निंग
अनिवार्य कोर्स और लाइव सेशन्स की पूर्ति
AI आधारित मॉक इंटरव्यू टूल्स का अभ्यास
प्रशिक्षण और प्रगति की निगरानी प्रोजेक्ट मैनेजर और रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप (RMG) द्वारा की जाएगी।
⚠️ नियमों की अनदेखी के दुष्परिणाम
35 दिनों से अधिक समय तक बेंच पर रहने से कर्मचारी को विभिन्न नुकसान हो सकते हैं, जैसे:
वेतन वृद्धि और पदोन्नति पर प्रतिकूल प्रभाव
विदेश में तैनाती की संभावना कम
गंभीर मामलों में नौकरी जाने का खतरा भी हो सकता है
💬 कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
कई कर्मचारियों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस नीति को लेकर चिंता जताई है। कुछ लोगों का मानना है कि यह उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम है, जबकि अन्य इसे अनुचित दबाव के रूप में देख रहे हैं।
एक Reddit यूज़र ने लिखा:
> “अगर कंपनी के पास प्रोजेक्ट नहीं हैं, तो कर्मचारियों की गलती नहीं है। पहले सोच-समझकर भर्ती होनी चाहिए।”
🧭 उद्योग पर असर
TCS की यह नीति साफ तौर पर दर्शाती है कि कंपनी अब उच्च संसाधन उपयोग (utilization) और कार्यकुशलता पर अधिक ध्यान दे रही है। यह कदम अन्य बड़ी IT कंपनियों को भी इसी दिशा में सोचने के लिए प्रेरित कर सकता है।